सीता जयंती को हिंदुओं के लिए महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक माना जाता है। यह पर्व माता सीता के जन्म के अवसर पर मनाया जाता है और हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। सीता जी हिन्दू धर्म के अनुसार प्रभु राम की पत्नी थीं और उनका प्रेम, साहस और समर्पण धर्म के उत्कृष्ट उदाहरण के रूप में स्थायी रूप से याद किया जाता है। इस लेख में, हम सीता जयंती का महत्व और महत्वपूर्ण तथ्यों को विस्तार से समझेंगे।
सीता जयंती का आयोजन चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को किया जाता है। यह पर्व भारतीय संस्कृति में बहुत महत्वपूर्ण है और इसे विभिन्न प्रकार से मनाया जाता है, जैसे कि पूजा, भजन, कथा कथान, और समाजिक उत्सव। सीता जी को भारतीय नारी के आदर्श और महिलाओं के सम्मान का प्रतीक माना जाता है।
हिन्दू कैलेंडर के अनुसार वैशाख मास के शुक्लपक्ष की नवमी तिथि और पुष्य नक्षत्र के योग में कन्या के रुप में सीता जी प्रकट हुई थी। पौराणिक कथाओं के अनुसार जब राजा जनक सन्तान-प्राप्ति की कामना से यज्ञ की भूमि तैयार करने के लिए हल से भूमि जोत रहे थे। उसी समय राजा जनक को पृथ्वी से एक कलश में कन्या प्राप्त हुईं। हल से जोती हुई भूमि को सीता कहा जाता है और हल के आगे की नोक को सीत कहते हैं। इसलिए उस कन्या का नाम सीता रखा गया है।
वाल्मीकि रामायण के अनुसार माता सीता का जन्म जनकपुर में हुआ था। जनकपुर का प्राचीन नाम मिथिला तथा विदेहनगरी था। भगवान श्रीराम से विवाह के पहले सीता ने ज़्यादातर समय यहीं व्यतीत किया था। महाभारत काल में जनकपुर एक जंगल के रूप में था। जहाँ साधु-महात्मा तपस्या किया करते थे। पुराणों के अनुसार जनकपुर के चारों ओर रक्षक देवता के रुप में शिलानाथ, कपिलेश्वर, कूपेश्वर, कल्याणेश्वर, जलेश्वर, क्षीरेश्वर, तथा मिथिलेश्वर नाम से शिव मंदिर थे। जो कि अब भी हैं। जनकपुर, सीतामढ़ी अथवा दरभंगा से 24 मील दूर नेपाल में है।
सीता जी का विवाह भगवान राम से हुआ था, जिन्हें अयोध्या के राजा दशरथ के पुत्र के रूप में जाना जाता है। राम और सीता का विवाह स्वयंवर में हुआ था, जहां राम ने धनुष तोड़कर सीता की प्रेम प्रतिज्ञा की थी।
सीता जी की कहानी हिंदू धर्म के महाकाव्य रामायण में प्रमुखतः वर्णित है। रामायण में सीता का पात्र अत्यंत महत्वपूर्ण है और उनकी साहस, समर्पण, और पतिव्रता की कहानी पुरे धर्म और समाज में प्रेरणा का स्रोत बनी है। सीता जी का अपहरण रावण द्वारा, राम के लक्ष्मण समेत वनवास, और उनकी उत्तरकांड में पवित्र धरा में वापसी की कहानी रामायण का मुख्य प्लॉट है।
सीता जी की कहानी और उनके पतिव्रता का प्रतीक होने के कारण, सीता जयंती का महत्व धार्मिक, सामाजिक, और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से अत्यंत उच्च है। इस दिन को समर्पित किया जाता है ताकि लोग सीता जी के उत्कृष्ट गुणों का स्मरण करें और उनकी उत्तम आदर्शों का अनुसरण करें।